जब प्रार्थना पृथ्वी को हिलाती है
डॉ. गैरी ग्रीनबर्ग ने दुनिया भर के समुद्र तटों से रेत को विस्तारित और उसकी तस्वीरें खींची है, जो अक्सर खनिजों, खोल, और मूंगा के टुकड़ों से रंग के आश्चर्यजनक, जीवंत बौछारे प्रकट करती है।
उन्होंने पाया है कि साधारण रीती से आखों को दिखने के अलावा रेत में और बहुत कुछ है। एरेनोलॉजी (रेत पर जांच) में, रेत की खनिज तत्व के सूक्ष्म विश्लेषण से कटाव, किनारे की धाराओं और समुद्र तट पर उनके संभावित प्रभावों के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है। थोड़ी सी रेत भी बड़ी कीमत की जानकारी दे सकती है!
एक प्रार्थना भी, रेत के दाने की तरह ही, एक भारी चीज हो सकती है। पवित्रशास्त्र परमेश्वर के राज्य के आने में प्रार्थना की शक्तिशाली भूमिका को दर्शाता है। प्रकाशितवाक्य ८ में, यूहन्ना एक स्वर्गदूत को अपने सिंहासन के सामने वेदी पर खड़ा देखता है, जिसके हाथ में एक सोने का धूपदान है जिसमें "परमेश्वर के सभी लोगों की प्रार्थनाएँ" हैं। “जब स्वर्गदूत ने धूपदान लेकर उसमें वेदी की आग भरी और पृथ्वी पर डाल दी; और गर्जन और शब्द और बिजलियाँ और भूकम्प होने लगे"(पद ३,५)।
जब स्वर्गदूत ने आग और प्रार्थना से भरे धूपदान को फेंका, तो सात स्वर्गदूतों ने सात तुरहियों के साथ "उन्हें फूंकने के लिए तैयार हुए" (पद ६), इस पुरानी पृथ्वी के अंतिम दिनों और मसीह की वापसी की घोषणा करते हुए।
कभी-कभी हमें ऐसा महसूस होता है कि हमारी प्रार्थनाओं से क्या ही कुछ ज्यादा फर्क पड़ जाएगा, लेकिन परमेश्वर एक को भी नहीं छोड़ता। वह उन्हें इतना महत्व देता है कि वे एक तरह से उसके राज्य की समाप्ति में भी भूमिका निभाती हैं। जो हो सकता है हमें सबसे छोटी प्रार्थना लगे उसके साथ वह पृथ्वी को हिला देने वाला भार हो सकती है!
जल्दी करो और रुको
“हम अपने सभी खाली समय में क्या करेंगे?” यह विचार 1930 में अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स द्वारा प्रकाशित एक निबंध का केंद्र था। इसमें कीन्स ने प्रस्तावित किया कि सौ वर्षों के भीतर, तकनीकी और आर्थिक प्रगति मनुष्य को एक ऐसे बिंदु पर ले आएगी जहाँ हम एक दिन में केवल तीन घंटे, और एक सप्ताह में पंद्रह घंटे काम करेंगे।
कीन्स को अपना प्रसिद्ध निबंध प्रकाशित किए हुए नब्बे साल से अधिक समय हो गया है। लेकिन तकनीक ने और अधिक फुरसत पैदा करने के बजाय हमें पहले से कहीं ज्यादा व्यस्त बना दिया है। हमारे दिन भरे हुए हैं, और जबकि यात्रा और भोजन तैयार करने जैसे रोज़मर्रा के कार्यों में कम समय लगता है, फिर भी हम जल्दी में रहते हैं।
दाऊद के जीवन की एक असाधारण घटना हमें दिखाती है कि जीवन की भागदौड़ में कैसे संतुलित रहना है। जब दाऊद राजा शाऊल जो उसे मारने का यत्न कर रहा था) से भाग रहा था, तो उसने मोआब के राजा से पूछा,“क्या तू मेरे माता पिता को आकर अपने साथ रहने देगा, जब तक मैं यह न जान लूं कि परमेश्वर मेरे लिये क्या करेगा” 1 शमूएल 22:3 (इटैलिक्स जोडे गये)। दाऊद के हाथ भरे हुए थे। वह शाऊल की जानलेवा कोशिशों से बचने की कोशिश कर रहा था और अपने परिवार का भरण–पोषण भी कर रहा था। लेकिन जल्दबाजी में भी उसने परमेश्वर की बाट जोहने के लिये समय निकाला।
जब जीवन की उन्मत्त गति हमें घेर लेती है, तो हम उस पर भरोसा कर सकते हैं जो हमें उसकी शांति में रख सकता है (यशायाह26:3)। दाऊद के शब्द इस बात का सार भली–भाँति प्रस्तुत करते हैं, “यहोवा की बाट जोहता रह, हियाव बान्ध और तेरा हृदय दृढ़ रहे और यहोवा की बाट जोहते रहो” (भजन संहिता 27:14)।
स्पष्टवादिता की दयालुता
"मेरे प्रिये मित्र, कभी-कभी जितने आप वास्तव में हो नहीं उससे अधिक धर्मी लगते हो।"
उन शब्दों को एक सीधी नज़र और कोमल मुस्कान के साथ बराबरी के स्तर पर लाया गया था। अगर वे किसी करीबी दोस्त और सलाहकार जिनकी परखने की समझ मैं बहुत मूल्यवान मानता था, के अलावा किसी और से आए होते, तो शायद मेरी भावनाओं को ठेस पहुँचती। इसके बजाय, मैं एक ही समय में दर्द में था और हँसा भी, यह जानते हुए कि उसके शब्द ने मेरी "एक दुखती रग छेड़ी", और वह सही भी था। कभी-कभी जब मैं अपने विश्वास के बारे में बात करता था, तो मैं ऐसे शब्दजाल का प्रयोग करता जो वास्तविक नहीं लगते, जिससे यह आभास होता था कि मैं ईमानदार नहीं हूं। मेरा मित्र मुझसे प्रेम करता था और मेरी मदद करने की कोशिश कर रहा था कि मैं जो सच में विश्वास करता हूँ, उसे और प्रभावशाली रूप से दूसरों के साथ साझा कर सकूँ। पीछे मुड़कर देखने पर, मैं इसे अब तक मिली सबसे अच्छी सलाह के रूप में देखता हूं।
"मित्र के घाव विश्वासयोग्य हैं,” सुलैमान ने बुद्धिमानी से लिखा, “परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है" (नीतिवचन 27:6)। मेरे मित्र की अंतर्दृष्टि ने उस सलाह की सच्चाई को प्रदर्शित किया। मैं आभारी था कि उसने मुझे कुछ ऐसा बताया जो मेरे सुनने के लिए आवश्यक था, हालांकि वह जानता था कि इसे स्वीकार करना आसान न होगा। कभी-कभी जब कोई आपको केवल वही बताता है जो उन्हें लगता है कि आप सुनना चाहते हैं, तो यह मददगार नहीं होता, क्योंकि यह आपको महत्वपूर्ण तरीकों से बढ़ने और विकसित होने से रोक सकता है।
जब सच्चे, विनम्र प्रेम से मापा जाता है, तो स्पष्ट रीति से बोलना दयालुता हो सकती है। परमेश्वर हमें इसे प्राप्त करने और इसे अच्छी तरह से प्रदान करने की बुद्धि दें, और इस तरह उसके परवाह करने वाले हृदय को दर्शाए।
प्रार्थना करने के लिए विराम (पॉज़) दबाएं
फायर हाइड्रेंट (पानी का नल) गली में घुस गया और मैंने अपना अवसर देखा। मेरे सामने कई कारें पानी की छीटें उड़ाती निकल चुकी थीं, और मैंने सोचा फ्री वॉश पाने का क्या ही बढ़िया तरीका है! मेरी कार को एक महीने से साफ नहीं किया गया था और उस पर मोटी धूल जमी थी। इसलिए मैंने कार चला दी, और पानी की बाढ़ में चला गया।
यह इतनी तेजी से हुआ। उस सुबह मेरी काली कार पर सूरज पूरी तरह से चमका था, उसका शीशा और इंटीरियर गर्म हो गया था। लेकिन हाइड्रेंट का पानी ठंडा था। जैसे ही ठंडे पानी की बौछारें गर्म विंडशील्ड से टकराए, ऊपर से नीचे तक बिजली की तरह एक दरार आ गई। मेरी फ्री कार वॉश मुझे बहुत महंगी पड़ गई।
काश मैंने सोचने या यहाँ तक कि प्रार्थना करने के लिए पहले से ही “पॉज़ दबा” दिया होता। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है? इस्राएल के लोगों के साथ हुआ, अधिक कठिन परिस्थितियों में। परमेश्वर ने उन्हें अन्य राष्ट्रों को बाहर निकालने में मदद करने का वादा किया था क्योंकि वे उस देश में प्रवेश कर रहे थे जिसे उसने उन्हें दिया था (यहोशू 3:10), ताकि वे झूठे देवताओं द्वारा परीक्षा में न पड़ें (व्यवस्थाविवरण 20:16–18)। लेकिन राष्ट्रों में से एक ने इज़राइल की जीत को देखा और बासी रोटी का इस्तेमाल करके उन्हें विश्वास दिलाया कि वे बहुत दूर रहते हैं। इस्राएलियों ने अपने भोजन का नमूना लिया, परन्तु यहोवा से कुछ न पूछा। तब यहोशू ने शांति की सन्धि की (यहोशू 9:14–15), अनजाने में परमेश्वर के निर्देशों को दरकिनार करते हुए।
जब हम प्रार्थना को अंतिम के बजाय पहला उपाय बनाते हैं, तो हम ईश्वर की दिशा, ज्ञान और आशीर्वाद को आमंत्रित करते हैं। क्या वह आज हमें पॉज़ दबाना याद रखने में मदद कर सकता है।
एक आशीष के द्वारा चलना
1799 में 12 साल के कोनार्ड रीड ने अपने परिवार के छोटे खेत से होकर बहती हुई नदी में एक बड़ा, चमचमाता पत्थर पाया। वह अपने पिता, एक गरीब अप्रवासी किसान, को दिखाने घर लेकर गया । उसके पिता ने उस पत्थर के संभावित मूल्य को नहीं समझा। और उसे दरवाजा रोकने के लिए इस्तेमाल किया। वह परिवार वर्षों तक उस पत्थर के आस पास चलता रहा।
कोनार्ड का पत्थर वास्तव में एक 17पौंड सोने का डला था । एक स्थानीय जौहरी ने उसे देखा जल्द ही वह रीड परिवार अमीर हो गया, और उनकी संपत्ति अमेरिका में पहला प्रमुख गोल्डस्ट्राइक का स्थल बना।
कभी–कभी हम अपनी योजनाओं और तरीकों के इरादे से एक आशीष से आगे बढ़ते हैं। परमेश्वर की अवज्ञा करने के कारण इस्राएल को बाबुल में निर्वासित किए जाने के बाद, उसने एक बार फिर उनके लिए स्वतंत्रता की घोषणा की। लेकिन उसने उन्हें यह भी याद दिलाया कि वे क्या चूक गए थे। उसने उनसे कहा, “मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुम्हें सिखाता है कि तुम्हारे लिए सबसे अच्छा क्या है, जो तुम्हें उस मार्ग पर ले जाता है जिस पर तुम्हें चलना चाहिए। यदि तूने मेरी आज्ञाओं पर ध्यान दिया होताए तो तेरी शान्ति नदी के समान, तेरा कल्याण समुद्र की लहरोंके समान होता।” फिर परमेश्वर ने उन्हें पुराने तौर–तरीकों से दूर एक नए जीवन में अपने पीछे चलने के लिए प्रोत्साहित कियार, “बाबुल को छोड़ दो — जयजयकार करते हुए इसकी घोषणा करो” (यशायाह 48:17–18, 20) ।
बाबुल छोड़ने का, शायद जो उस समय मतलब था, अब भी वही है,— पापमय मार्गों को छोड़ना, और एक ऐसे परमेश्वर के पास “घर आना” जो हमारे लिये अच्छा करने के लिए तरसता है, यदि केवल हम उसकी आज्ञा का पालन करें और उसका अनुसरण करें!
प्रेम सहित देखभाल
मेरा 4 वर्ष का पोता मेरी गोदी में बैठकर अपने हाथों से मेरे सिर को थपथपाते हुए, और ध्यान से देखते हुए पूछा, “दादाजी, “आपके बाल कहाँ गए?” “ओह, मैं हँसा, “मैंने इसे वर्षों में खो दिया l” उसका चेहरा चिन्ताशील हो गया : “यह तो बहुत ख़राब है,” उसने प्रतिउत्तर दिया l “मुझे अपने कुछ बाल आपको देना होगा l”
उसके तरस पर मैं मुस्कुराया और उसे गले लगाने के लिए उसे अपनी और खींचा l बाद में मेरे लिए उसके प्रेम पर विचार करते हुए उस अभिलाषित क्षण ने मुझे परमेश्वर के निस्वार्थ, उदार प्रेम पर विचार करने को विवश किया l
जी. के चेस्टरटन ने ऐसा लिखा है : “हमने पाप किया है और बूढ़े हो गए हैं, और हमारे पिता हमसे जवान हैं l” इससे उसका तात्पर्य यह था कि “एक प्राचीन युग-पुरुष” (दनिय्येल 7:9. BSI Hindi-C.L) पाप के क्षय से शुद्ध है─परमेश्वर शाश्वत है और हमसे बहुतायत से प्रेम करता है जो कभी भी डिगता या मुरझाता नहीं है l वह पूर्ण रूप से इच्छुक और यशायाह 46 में अपने लोगों से किये गए वादों को पूरी करने में सक्षम है : “तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूँगा और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूँगा” (पद.4) l
5 पदों के बाद वह समझाता है, परमेश्वर मैं ही हूँ, दूसरा कोई नहीं” (पद.9) l वह महान “मैं हूँ” (निर्गमन 3:14) हमसे इतना गहरा प्रेम किया कि उसने हमारे पाप का पूर्ण भार उठाने के लिए क्रूस पर मरने की चरमसीमा तक गया, ताकि हम उसकी ओर मुड़ सकें और अपने बोझ से स्वतंत्र होकर सर्वदा उसकी उपासना कर सकें!
हर पल का सदुपयोग
उत्तरी कैरोलिना के विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के लेखागार(archive) में पॉकेट घड़ी की ठहरी हुए सुइयाँ एक डरावनी कहानी सुनाती हैं l वे सुइयाँ ठीक क्षण(8.19 और 56 सेकंड) अंकित करती हैं जब घड़ी का मालिक एलिशा मिशेल जून 27, 1857 की सुबह अपालाचिया पहाड़ में एक जलप्रपात से फिसल मर गए l
मिशेल, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, उस शिखर पर जहाँ वे थे खुद के किए गए (सही) दावे के बचाव के लिए डेटा जुटा रहे थे─आज जो उनके नाम से पुकारा जाता है, माउंट मिशेल─ मिसीसिपी के पूर्व में सबसे ऊंचा है l उनकी कब्र पर्वत के शिखर पर स्थित है l यह उस जगह से बहुत दूर नहीं जहां से वह गिरे थे।
अभी हाल ही में जब मैं उस पर्वत शिखर पर गया, मैंने मिशेल की कहानी और स्वयं की नश्वरता और हममें से हर एक के पास इतना ही समय है पर विचार किया l फिर मैंने यीशु मसीह के उन शब्दों पर ध्यान दिया जो उसने अपनी वापसी के विषय चेलों से जैतून के पहाड़ पर कहे थे : “इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा”(मत्ती 24:44)।
यीशु मसीह स्पष्टता से संकेत करता हैं कि हममें से कोई भी नहीं जानता कि वह किस घड़ी लौटेगा और सर्वदा के लिए अपना राज्य स्थापित करेगा अथवा कब वह हमें इस संसार को छोड़ने और उसके पास जाने के लिए l परंतु वह हमसे तैयार रहने और “जागते”(पद.42) रहने के लिए कहता है l
टिक . . . टिक . . . l हममें से प्रत्येक के जीवन की “घड़ी के पुर्जे” चलते रहते हैं─लेकिन कितने समय तक? हम अपने करुणामाय उद्धारकर्ता के साथ अपने पलों को प्रेम में जीते हुए उसका इंतज़ार और उसके लिए कार्य करते रहें l
साक्षी चिन्ह
“उसे देखें?” घड़ी साज़ ने हमारे घर में पुरानी बड़ी दीवार घड़ी की मरम्मत करते समय अपनी टॉर्च की रोशनी घड़ी में एक छोटे से चिन्ह पर चमकाया l उसने कहा “इसे लगभग एक शताब्दी पहले किसी अन्य घड़ी साज़ ने लगा दिया होगा।“ “जिसे ‘साक्षी चिन्ह’ कहा जाता है, और इससे मुझे इस घड़ी की यंत्रावली को ठीक करने के विषय सहायता मिलती है।“
तकनीकी खबरों और मरम्मत नियमावलियों के युग से पहले “साक्षी चिन्ह” का प्रयोग कर भविष्य में सूक्ष्मता से चलनेवाले पुर्जों को मिलाने के लिए मरम्मत करने वाले व्यक्ति की मदद करने में उपयोग किया जाता था l जिन्हें समय बचाने से बढ़कर उस दूसरे व्यक्ति के लिए नेंकी के एक चिन्ह स्वरूप छोड़ा जाता था जो उस पर बाद में काम करेगा।
जबकि हम परमेश्वर के कार्य में कार्यरत हैं तो बाइबल हमें इस बिखरी दुनिया में अपने साक्षी चिन्हों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। पौलुस रोम की कलीसिया को लिखता है कि “हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उस की भलाई के लिये प्रसन्न करे कि उसकी उन्नति हो” (रोमियो 15:2)। यह हमारे परमेश्वर का उदाहरण है जो “धीरज, और शान्ति का दाता” है, (पद 5)। यह पृथ्वी और स्वर्ग दोनों के अच्छे नागरिक बनना है।
हो सकता है कि हमारा साक्षी चिन्ह छोटी सी बात दिखे, परंतु वह किसी के जीवन में बहुत बड़े अंतर को ला सकता है। प्रोत्साहन का शब्द, आवश्यकता में किसी व्यक्ति को एक आर्थिक उपहार, और एक सुनने वाले कान─यह सभी नेकी के चिन्ह हैं जिनका प्रभाव बहुत लंबे समय तक रहता है। परमेश्वर दूसरों के जीवन में आपके द्वारा एक साक्षी चिन्ह बनाने में आपकी सहायता करें।
परमेश्वर में प्रोत्साहित
1925 में, एक महत्वाकांक्षी लेखक, लैंगस्टन ह्यूज, जो एक होटल में सहायक वेटर के रूप में काम कर रहे थे, ने पाया कि एक कवि जिन्हें वह बहुत पसंद करते थे (वेचल लिंडसे) वहाँ एक अतिथि के रूप में रह रहे थे। ह्यूज ने हिचकते हुए लिंडसे को अपनी खुद की कुछ कविताएँ पहुँचा दी, जिनकी लिंडसे ने बाद में एक सार्वजनिक पठन दौरान उत्साहपूर्वक प्रशंसा की। लिंडसे के प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप ह्यूज को विश्वविद्यालय की छात्रवृत्ति प्राप्त हुई, जिससे वह अपने स्वयं के सफल लेखन आजीविका के रास्ते पर आगे बढ़ गए।
थोड़ा सा प्रोत्साहन बहुत आगे बढ़ा सकता है, खासकर तब जब परमेश्वर उसमें हो। पवित्रशास्त्र एक घटना के बारे में बताती है जब दाऊद राजा शाऊल से भाग रहा था, जो "उसकी जान लेने" की कोशिश कर रहा था। शाऊल के पुत्र योनातान ने दाऊद को ढूंढ़ निकाला, "और परमेश्वर [में] ढाढ़स दिलाया l उसने उससे कहा, ‘मत डर; क्योंकि तू मेरे पिता शाऊल के हाथ न पड़ेगा; और तू ही इस्राएल का राजा होगा’” (1 शमूएल 23:15-17)।
योनातान सही था। दाऊद को राजा होना था। योनातान द्वारा दिए गए प्रभावी प्रोत्साहन का मूल सरल वाक्यांश "परमेश्वर [में]" (पद 16 )पाया जाता है। यीशु के द्वारा, परमेश्वर हमें "अनंत शांति और उत्तम आशा" दी है (2 थिस्सलुनीकियों 2:16)। जब हम अपने आप को उसके सामने नम्र करते हैं, तो वह हमें इस प्रकार ऊंचा करता करता है जैसा कोई नहीं कर सकता।
हमारे चारों ओर ऐसे लोग हैं जिन्हें परमेश्वर द्वारा दिए गए प्रोत्साहन की आवश्यकता है। यदि हम भी उन्हें वैसे ही ढूंढ़ते हैं जैसे योनातान ने दाऊद को ढूंढा और कोमल वचन या कार्य के द्वारा उन्हें धीरे से परमेश्वर की ओर केंद्रित करते है, तो वह बाकी का काम पूरा करेगा। इस जीवन में चाहे जो भी हो, अनंत काल में एक उज्ज्वल भविष्य उन लोगों की प्रतीक्षा करता है जो उस पर भरोसा करते हैं।